रामराज्य ( Ramrajya ) - राम राज्य की अवधारणा को लेकर विभिन्न लोगों में मतभेद है कुछ लोग रामराज्य का मतलब हिंदूू राज्य से मानते तो कुछ भगवान श्रीराम से इसका संबंध जोड़ते हैं जबकि रामराज एक विस्तृत अवधारणा है जिसके आदर्श विचार सार्वभौमिक है । अर्थात हम रामराज्य का अर्थ इस प्रकार ले सकते हैं कि जैसा राज्य भगवान श्री राम के समय था। वैसे राज्य की आधारशिला का निर्माण होना । परिभाषा ( Defination ) - रामराज्य एक ऐसी व्यवस्था का नाम है जहां हर व्यक्ति धर्म का पालन अपनी निष्ठापूर्वक करताा है यहां धर्म का अर्थ पूजा पद्धति से नहीं है बल्कि अच्छे कर्मों से है जो व्यक्ति अपने कर्मों को निष्ठापूर्वक करता है उस व्यक्ति को हम धार्मिक के सकते हैं रामराज्य एक ऐसी कल्पना है जहां हर व्यक्ति अपना जीवन आनंद के साथ बिताता है । राम राज्य के लोगों को किसी प्रकार की बीमारी नहींं होती है क्योंकि रामराज्य का वातावरण प्रदूषण मुक्त होता है इस कारण लोग स्वस्थ रहतेे हैं । तथा यहां कोई व्यक्ति दीन हीन अवस्था में नहीं रहता है । नागरिकों का व्यवहार ( Behavior ) - राम राज्य में सभी लोग आपसी सद्भाव के साथ अपना जीवन
राम भक्ति काव्य धारा के प्रमुख कवि एवं रचनाएं - रामानंद - इनका जन्म 1300ईं के आसपास काशी में हुआ । इनके गुरु राघवानंद थे यह संस्कृत केे पंडित थे। रामानंद केे 12 शिष्य थे जो इस प्रकार है- 1 कबीर 2. रैदास 3. धन्ना 4. पीपा 5. सेना 6. भावानंद 7. अनंतानंद 8.सुरसुरानंद 9. नरहरयानंद 10. सुखानंद 11. पद्मावती 12.सुरसरी । अनंतानंद केेे शिष्य कृष्णदास पयोहारी ने राजस्थान केेेे जयपुर के निकट गलता नामक स्थान में रामानंद कीी गद्दी स्थापित की । रामानंद की प्रमुख रचनाएं - आनंद भाष्य, श्रीरामार्चन पद्धति, श्री वैष्णवमताव्ज भास्कर, सिद्धांत पटल, रामरक्षास्तोत्र, योग चिंतामणि, श्री रामरामन, वेदांत विचार, शिवरामाष्टक, हनुमान स्तुति आदि । विष्णु दास - यह ग्वालियर नरेश के राज्य कवि थे उनकी प्रमुख रचना- " रामायण कथा " है । अग्रदास - यह कृष्णदास पयोहारी के शिष्य थे प्रमुख रचना - " अष्टयाम ", " रामाष्टयाम " । अन्य रचनाएं - ध्यानमंजरी, रामभजन मंजरी, उपासना बावनी, पदावली, हितोपदेश, इनकी भाषा बृज भाषा है । अगर दास के शिष्य " भक्तमाल" के रचयिता प्रसिद्ध कवि नाभादा