सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

आदिकालीन हिन्दी साहित्य की प्रमुख विशेषताएं। ( Salient features of ancient Hindi literature )


  1. वीरगाथात्मक काव्य रचनाएं - आदिकालीन साहित्य में वीरगाथाओं का विशेष प्रचलन था जिसमें कभी कवि अपने आश्रयदाताओं की वीरता, साहस, शौर्य एवं पराक्रम को अतिरंजित बनाकर प्रस्तुत करते थे। जिस से उनमें जोश एवं    शौर्य जाग्रत होता था ।
  2. युद्धों का वर्णन - आदिकालीन साहित्य से ज्ञात होता है । कि   राजा का प्रजा पर ध्यान कम और अपने साम्राज्य विस्तार पर ध्यान ज्यादा था । जिस के कारण आए दिन युद्ध के बिगुल बज उठते थे । जिसमें अनेक लोग युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो जाते थें जिसका आदिकालीन कवियों ने बड़ा चढ़ाकर वर्णन किया है ।
  3. संकुचित राष्ट्रीयता की भावना - उस समय राष्ट्रीयता की भावना का अभाव था । लोग एक दूसरे के स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए थे । उस समय राष्ट्र का मतलब एक राजा था सामंत की राज्य सीमा थी जिसे वे अपना मानते थे । संपूर्ण भारत को राष्ट्र नहीं समझा गया । इसी कारण पृथ्वीरााज चौहान को शहाबुद्दीन गोरी ने पर परास्त किया ।
  4. लोक भाषा का साहित्य - सातवीं शताब्दी से दसवीं शताब्दी की अपभ्रंश लोक भाषा के रूप में प्रचलित रही । इस समय के सिद्धाचार्यो , जैनाचार्यों एवं नाथ संप्रदाय के अनुयायियों नेे लोक भाषा में ही अपनी रचनाएं प्रस्तुत की । इस प्रकार आदिकाल में लोक भाषा व लोक साहित्य का महत्व रहा ।
  5. वीर और श्रृंगार रस का समन्वय - इस युग में कवि वीर एवं श्रृंगार रस का प्रयोग साथ साथ कर रहे थे । इस युग में कवियों ने नारी सौंदर्य का अतिशयोक्ति पूर्ण वर्णन किया । इस युग के कई युद्ध साम्राज्य विस्तार के साथ साथ नारी सौंदर्य की लालसा के लिए भी लड़े गए ।
  6. ऐतिहासिकता की अपेक्षा कल्पना के प्रधानता-  आदिकालीन राज्याश्रित कवियों का लक्ष्य राजा की प्रशंसा करना था उनकी दृष्टि में ऐतिहासिकता गौण थी । वे अपनी प्रतिभा को मात्र पोषित करते थे प्रकट नहीं । इस प्रकार आदिकालीन कवियों के लिए ऐतिहासिकता की अपेक्षा कल्पना प्रधान थी ।
  7. प्रबंध एवं मुक्तक गीत - आदिकालीन काव्य दो रुपों में मिलता है प्रबंध काव्य वीरगाथा के रूप में पृथ्वीराज रासो तथा दूसरा मुक्तक गीतिकाव्य बीसलदेव रासो वर्णित है ।
  8. डिंगल भाषा युक्त का काव्य - आदिकाल में राजस्थानी भाषा में जो साहित्य रचा गया वह डिंगल भाषा का साहित्य है । इस के साथ ही अपभ्रंश भाषा में भी खूब साहित्य रचा गया ।
  • इस प्रकार आदि आदिकालीन साहित्य की प्रमुख विशेषताएं रही ।
R.k pidiyar

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रासो साहित्य ( आदिकाल ) Hindi literature

रासो साहित्य- " रासो " शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर विद्वानों में मतभेद है । फ्रांसीसी इतिहासकार  गार्सा- द- तासी ने रासो शब्द की व्युत्पत्ति " राजसूय " से मानी है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने " रसायण " शब्द से मानी है । नरोत्तम स्वामी ने रासो शब्द की व्युत्पत्ति " रसिक " शब्द   से मानी है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी व चंद्रबली पांडेय ने संस्कृत के " रासक " शब्द से ही रासो शब्द की व्युत्पत्ति मानी है । प्रमुख रासो साहित्य - खुमान रासो - इसका समय 9वीं शताब्दी है कुछ विद्वान इसका समय 17वीं शताब्दी मानते हैं । इसे चित्तौड़गढ़ नरेश खुमाण के समकालीन कवि दलपत विजय द्वारा रचित माना है इसकी भाषा डिंगल है । हम्मीर रासो - इसका समय 13वीं शताब्दी है इसके रचनाकार कवि शाड़र्गगधर है इसमें रणथंभौर के राव हमीर देव चौहान के शौर्य, अलाउद्दीन खिलजी द्वारा 1301 ईसवी में रणथंभौर पर किए गए आक्रमण का वर्णन है । प्राकृत पैैैैंगलम में इसके कुछ छंद मिलते है । बीसलदेव रासो - इसके रचनाकार कवि नरपति नाल्ह है । इसका समय कुछ विद्वानों ने 1272 विक्रम स

प्रेमाश्रयी शाखा ( सूफी काव्य ) भक्तिकाल Hindi literature

सूफी साधना के  अनुसार मनुष्य के चार विभाग है- 1. नफ्स ( इंद्रिय ) 2. अक्ल ( बुधि या माया ) 3. कल्ब ( हृदय ) 4. रुह ( आत्मा ) । सूफी साधना का प्रवेश इस देश में 12वीं सती में मोइनुद्दीन चिश्ती के समय से माना जाता है सुपर साधना के चार संप्रदाय प्रसिद्ध है। 1. चिश्ती 2.कादरी 3.सोहरावर्दी 4. नक्शबंदी । मुरला दाऊद (1379ई)  हिन्दी के प्रथम सूफी कवि है। प्रेमाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएं - मुरला दाऊद - मुरला दाऊद की रचना " चंदायन " से सूफी काव्य परंपरा का आरंभ माना जाता है इसका रचनाकाल 1379 ईं है । चंदायन की भाषा परिष्कृत अवधी है । मुरला दाऊद हिंदी के प्रथम सूफी कवि हैं । कुतुबन - कुतुबन चिश्ती वंश के शेख बुरहान के शिष्य थे। कुतुबन ने  " मृगावती " की रचना 1503-04ईं में की थी। यह सोहरावर्दी पंंथ के थे ‌। इसमें चंदनगर के राजा गणपति के राजकुमार और कंचनपुर के राजा रूप मुरारी की कन्या मृर्गावती की प्रेम कथा का वर्णन है । मलिक मोहम्मद जायसी - (  16वीं शताब्दी )- मलिक मोहम्मद जायसी हिंदी के सूफी काव्य परंपरा के साधकों एवं कवियों के सिरमौर है । ये अमेठी के निकट

What is Ramrajya in Hindi ( रामराज्य )

रामराज्य ( Ramrajya )  -  राम राज्य की अवधारणा को लेकर विभिन्न लोगों में मतभेद है कुछ लोग रामराज्य का मतलब हिंदूू राज्य से मानते तो कुछ भगवान श्रीराम से इसका संबंध जोड़ते हैं जबकि रामराज एक विस्तृत अवधारणा है जिसके आदर्श विचार सार्वभौमिक है । अर्थात हम रामराज्य का अर्थ इस प्रकार ले सकते हैं कि जैसा राज्य भगवान श्री राम के समय था। वैसे राज्य की आधारशिला का निर्माण होना । परिभाषा ( Defination ) - रामराज्य एक ऐसी व्यवस्था का नाम है जहां हर व्यक्ति धर्म का पालन अपनी निष्ठापूर्वक करताा है यहां धर्म का अर्थ पूजा पद्धति से नहीं है बल्कि अच्छे कर्मों से है जो व्यक्ति अपने कर्मों को निष्ठापूर्वक करता है उस व्यक्ति को हम धार्मिक के सकते हैं रामराज्य एक ऐसी कल्पना है जहां हर व्यक्ति अपना जीवन आनंद के साथ बिताता है । राम राज्य के लोगों को किसी प्रकार की बीमारी नहींं होती है क्योंकि रामराज्य का वातावरण प्रदूषण मुक्त होता है इस कारण लोग स्वस्थ रहतेे हैं । तथा यहां कोई व्यक्ति दीन हीन अवस्था में नहीं रहता है । नागरिकों का व्यवहार ( Behavior ) - राम राज्य में सभी लोग आपसी सद्भाव के साथ अपना जीवन