- रासो साहित्य- " रासो " शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर विद्वानों में मतभेद है ।
- फ्रांसीसी इतिहासकार गार्सा- द- तासी ने रासो शब्द की व्युत्पत्ति " राजसूय " से मानी है।
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने " रसायण " शब्द से मानी है ।
- नरोत्तम स्वामी ने रासो शब्द की व्युत्पत्ति " रसिक " शब्द से मानी है।
- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी व चंद्रबली पांडेय ने संस्कृत के " रासक " शब्द से ही रासो शब्द की व्युत्पत्ति मानी है ।
सूफी साधना के अनुसार मनुष्य के चार विभाग है- 1. नफ्स ( इंद्रिय ) 2. अक्ल ( बुधि या माया ) 3. कल्ब ( हृदय ) 4. रुह ( आत्मा ) । सूफी साधना का प्रवेश इस देश में 12वीं सती में मोइनुद्दीन चिश्ती के समय से माना जाता है सुपर साधना के चार संप्रदाय प्रसिद्ध है। 1. चिश्ती 2.कादरी 3.सोहरावर्दी 4. नक्शबंदी । मुरला दाऊद (1379ई) हिन्दी के प्रथम सूफी कवि है। प्रेमाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएं - मुरला दाऊद - मुरला दाऊद की रचना " चंदायन " से सूफी काव्य परंपरा का आरंभ माना जाता है इसका रचनाकाल 1379 ईं है । चंदायन की भाषा परिष्कृत अवधी है । मुरला दाऊद हिंदी के प्रथम सूफी कवि हैं । कुतुबन - कुतुबन चिश्ती वंश के शेख बुरहान के शिष्य थे। कुतुबन ने " मृगावती " की रचना 1503-04ईं में की थी। यह सोहरावर्दी पंंथ के थे । इसमें चंदनगर के राजा गणपति के राजकुमार और कंचनपुर के राजा रूप मुरारी की कन्या मृर्गावती की प्रेम कथा का वर्णन है । मलिक मोहम्मद जायसी - ( 16वीं शताब्दी )- मलिक मोहम्मद जायसी हिंदी के सूफी काव्य परंपरा के साधकों एवं कवियों के सिरमौर है । ये अमेठी के निकट
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