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सगुण धारा ( रामभक्ति काव्य धारा ) Hindi literature


  • राम भक्ति काव्य धारा के प्रमुख कवि एवं रचनाएं - 
  1. रामानंद - इनका जन्म 1300ईं के आसपास काशी में हुआ । इनके गुरु राघवानंद थे यह संस्कृत केे पंडित थे। रामानंद केे 12 शिष्य थे जो इस प्रकार है- 1 कबीर 2. रैदास 3. धन्ना 4. पीपा 5. सेना 6. भावानंद 7. अनंतानंद 8.सुरसुरानंद 9. नरहरयानंद 10. सुखानंद 11. पद्मावती 12.सुरसरी । अनंतानंद केेे शिष्य कृष्णदास पयोहारी ने राजस्थान केेेे जयपुर के निकट गलता नामक स्थान में रामानंद कीी गद्दी स्थापित की । रामानंद की प्रमुख रचनाएं - आनंद भाष्य, श्रीरामार्चन पद्धति, श्री वैष्णवमताव्ज भास्कर, सिद्धांत पटल, रामरक्षास्तोत्र, योग चिंतामणि, श्री रामरामन, वेदांत विचार, शिवरामाष्टक, हनुमान स्तुति आदि ।
  2. विष्णु दास - यह ग्वालियर नरेश के राज्य कवि थे उनकी प्रमुख रचना- " रामायण कथा " है ।
  3. अग्रदास - यह कृष्णदास पयोहारी के शिष्य थे प्रमुख रचना - " अष्टयाम ", " रामाष्टयाम " । अन्य रचनाएं - ध्यानमंजरी, रामभजन मंजरी, उपासना बावनी, पदावली, हितोपदेश,  इनकी भाषा बृज भाषा है । अगर दास के शिष्य " भक्तमाल" के रचयिता प्रसिद्ध कवि नाभादास जी थे ।
  4. ईश्वरदास - यह सिकंदर लोदी केे समय  वर्तमान थे । इनकी रचना " सत्यवती कथा " (1501ई) के आधार पर ईश्वरदास का जन्म काल निर्धारित किया जाता है । प्रमुख रचना - भरत मिलाप, राम जन्म, अंगद पैज, स्वर्गारोहिनी, एकादशी कथा आदि ।
  5. तुलसीदास - इनका जन्म 1497 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के राजापुर गांव में  हुआ था । इनके पिता का नाम आत्माराम दुबेेेे और माता का हुलसी था । इनकी पत्नी दीनबंधु पाठक की पुत्री रत्नावली थी ।  इन के गुरु का नाम बाबा नरहरिदास था । तुलसी में ब्रजभाषा और अवधी में रचना की । तुलसीदास के प्रमुख 12  ग्रंथ है - कवितावली, दोहावली, गीतावली, कृष्ण गीतावली, रामचरितमानस, विनय पत्रिका, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, बरवै रामायण, वैराग्य संदीपनी, रामाज्ञा प्रश्न, रामललानहछू । डॉ रामविलास शर्मा के अनुसार " रामचरितमानस में तुलसी की करुणा समाजोन्मुुख है , विनय पत्रिका में आत्मोन्मुख हैं । व्यक्तिगत एकांतिक अनुभूतियों की अभिव्यक्ति की दृष्टि से विनय पत्रिका भक्ति काव्य में अनूठी है ।" 
  6. नाभादास - यह अग्रदास के शिष्य थे। नाभादास की रचना " भक्तमाल " का हिंदी साहित्य में अभूतपूर्व ऐतिहासिक महत्व है । इसकी टीका 1712 ईस्वी में प्रियदास ने लिखी । इसमें 200 भक्तों के चरित 316 छप्पयो में वर्णित है ।
  7. केशवदास - ओरछा नरेश महाराजा रामसिंह के भाई इंद्रजीत सिंह की सभा में इनका पांडित्य के कारण अत्यधिक सम्मान था । इनके प्रमुख 7 ग्रंथ मिले हैं - रामचंद्रिका, कविप्रिया, रसिकप्रिया, वीर सिंह चरित्र, विज्ञान गीता, रतन बावनी, जहांगीर जस चंद्रिका 
  • अन्य प्रमुख कवि - अग्न दास की रचनाएं - कुंडलियां, ध्यानमंजरी । प्राण चंद चौहान की रचना - " रामायण महा नाटक "। ह्रदय राम की रचना-  " हनुमान नाटक " । लाल दास की रचना - " अवध विलास " । राम प्रिया शरण दास ने 1703 ईस्वी में " सीतायन " नामक  काव्य रचा ।
  • राम भक्ति काव्य धारा की सामान्य विशेषताएं - 
  1. सगुण राम भक्ति काव्य में सामाजिक मर्यादा के साथ लोग चिंता, लोक मानस, लोक रक्षा तथा लोकमंगल की भावना का प्रधान्य है ।
  2. इस काव्य धारा के कवियों ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम को अपना आराध्य माना है राम ही उनकी कविता के विषय हैं ।
  3. राम भक्ति शाखा के कवियों ने अपने काव्य के लिए प्रबंध एवं मुक्तक दोनों शैलियों को अपनाया किंतु इनका रुझान प्रबंध की ओर अधिक था ।
  4. इस धारा के कवियों ने अवधी एवं ब्रज भाषा का प्रयोग किया ।
  5. छप्पय, सवैया, कवित, भुजंगप्रयात, बरवै आदि राम काव्य के बहु प्रयुक्त छंद है ।
R.k pidiyar


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  1. बहुत अच्छी सूचना दी है।

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